Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Oct-2022 रंजिश


उसके गम के बिना तो ये शराब भी पानी हो जाए
बस छूने से उन जुल्फों को नई हमारी ज़वानी हो जाए

आशिकी उतनी ही करो जितनी तुम भुला पाओ
इसे इतना भी मत करो कि याद ये मुंह जुबानी हो जाए

आवारा है शहर के कई लड़के उस लड़की के लिए 
गर वो छोड़ दे शहर तो कितने लड़के खानदानी हो जाए

वो साथ नही है तो क्या हुआ रास्ते और भी है
क्यूं न किसी नए शख्स से मुहब्बत पुरानी हो जाए

यही एक ख्वाइश पे ये ज़िंदगी गुज़र जाएगी "सौरभ"
कि वो लड़की फ़िर से हमारी दिवानी हो जाए।

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12 Comments

Gunjan Kamal

23-Oct-2022 04:51 PM

बहुत ही सुन्दर

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Saurabh Patel

23-Oct-2022 09:09 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Punam verma

23-Oct-2022 09:07 AM

Nice

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Saurabh Patel

23-Oct-2022 09:09 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Anshumandwivedi426

23-Oct-2022 08:53 AM

So nice

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Saurabh Patel

23-Oct-2022 09:09 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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